शीतला माता रोग -सावधानी और परहेज़ ही उपचार :
दोस्तों हर घर में बच्चों , बुजुर्गों अथवा युवाओं को शीतला माता का रोग (खसरा) अवश्य ही होता है | इस रोग से शायद ही कोई घर अछूता हो | इस रोग का इलाज सावधानी ही है | इस रोग में बहुत ही परहेज़ से रहना पड़ता है | और बहुत सावधानी बरतनी पड़ती हैं |
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रोग की पहचान कैसे करे :
इस रोग की पहचान यही है की सबसे पहले रोगी को बुखार आता है , इस बुखार में रोगी को कभी गर्मी तो कभी सर्दी लगती है |
रोगी के शरीर पर चेचक के आकार की फुंसियांं सी निकलने लगती है , जो कुछ ही दिनों में बड़ी -बड़ी हो जाती है |
सात दिनों तक निकलने वाली इन फुंसियों को ही शीतला माता कहते है |
उपचार :
शीतला माता जब अपने पूर्ण रूप से प्रकट हो जाए तब रोगी के चरपाई के निचे (कंडो) उपलों की राख बिछा दे ,
और नीम की पत्तियों सहित टहनी से रोगी के कमरे की हवा करते रहे जिससे कोई मक्खी, मच्छर रोगी के कमरे में ना रहे | रोगी को ऐसी जगह रखें जहां शुद्ध एवं ठंडी हवा हो | रोगी को ठंडा पानी पिलाते रहे |
ठंडे पानी में हल्दी घोल कर पीने से बैचेनी नहीं होती है |
परहेज़ -बचाव -सावधानी :
रोगी के आस-पास किसी भी तरह की कोई गंदी वस्तु ना हो | घर में कोई स्त्री मासिक धर्म से हो तो उसे रोगी के पास ना जाने दे |
नीम के पत्ते ,तुलसी के पत्ते ,गंगाजल हमेशा रोगी के पास रखे, और सफाई का विशेष ध्यान रखे |
घर में मांस ,शराब और किसी भी तरह के नशीले पदार्थो का सेवन ना करे और ना किसी को करने दे |
गंदी एवं अश्लील बाते घर में अथवा रोगी के पास ना करे |
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