गर्भावस्था में कैसे रहे सावधान :
जब माता-पिता अस्वस्थ होते हैं, तब संतान भी रोगी होती है | और जब माता-पिता स्वस्थ होते हैं, तब संतान भी निरोगी होती है | जैसे माता-पिता वैसे ही संतान जैसी भूमि वैसे ही उपज जैसा बीज वैसा ही फल उत्तम संतान के लिए उत्तम माता-पिता होना भी जरूरी है | इसलिए माता-पिता का आहार-विहार शुद्ध और साफ होना जरूरी है संतान में यदि अवगुण होंगे तो वे माता-पिता को भी चुभेंगे , फिर वह सब के जीवन को चिंता से भर देंगे इसलिए माता-पिता का परम कर्तव्य है | कि संतान का शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक संरक्षण और पोषण करके आदर्श माता पिता बनेंं |
जब पति पत्नी का स्नेह व प्रेम से शारीरिक संबंध होता है तब उत्तम आत्मा उस घर में आती हैं | जब वे आपस में प्रेम से संबंधों में बनते हैं | तो उनका आपस में शरीर के साथ मानसिक और आध्यात्मिक संबंध भी होता है | उस समय सृष्टि में ब्रह्मांड में शुभ लक्षण होते हैं |
यह नौ महीने स्त्री के लिए तपस्या के दिन होते हैं | अतः सदेव प्रसन्न रहें ज्यादा इच्छा, वासना ना रखें संतो के दर्शन करें अच्छा प्रेरणादायक साहित्य पढ़े |
गर्भावस्था में स्वस्थ रहने के नियम :
1. प्रतिदिन सुबह 30 मिनट तक धूप में घूमना चाहिए यह विटामिन डी की कमी को पूरा कर देगा और बच्चे को जन्म के बाद पीलिया की बीमारी से बचायेगा |
2. घूमने के बाद स्नान वगैरा करके 15 मिनट अपने इष्ट देव का ध्यान करें, 5 से 7 मिनट अनुलोम-विलोम प्राणायाम और प्रार्थना करके पांच तुलसी के पत्ते रविवार को छोड़कर रोज खाने चाहिए, प्रतिदिन 5 से 10 नीम के पत्ते खाएं |
3. भोजन दिनचर्या के अनुसार होना चाहिए , भोजन के बाद थोड़ी सी सौंफ जरूर खानी चाहिए जिससे कि भोजन पच सके, भोजन करने के बाद सोना नहीं चाहिए थोड़ा सा टहल लेना चाहिए ताकि भोजन हजम हो सके और बच्चा स्वस्थ रहें |
4. गर्भावस्था के दिनों में नींद की गोली (sleeping pill) का उपयोग बिल्कुल ना करें अगर आप नींद की गोली (sleeping pill) का प्रयोग करते हैं तो बच्चा मंदबुद्धि होगा |
5. प्रतिदिन 2 से 3 मिनट शशांक आसन में मत्था टेककर मूल बंद करने से डिलीवरी के बाद समस्याएं नहीं होती और शरीर जल्दी मजबूत बन जाता है |
6. प्रतिदिन दिन में दो बार दूध अवश्य पियेंं दूध के साथ चवनप्राश का सेवन शारीरिक विकास के लिए हितकर है, इससे बच्चा हष्ट पुष्ट होता है और उसका पेट साफ रहता है |
7. अगर हो सके तो प्रतिदिन एक नारियल पानी अवश्य पीना चाहिए इससे बच्चे का पोषण ठीक से होता है |
8. गर्भवती स्त्री को हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए कभी लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए | गर्भवती महिला को हमेशा सकारात्मक विचार में चाहिए तर्क कुतर्क से बचे निष्काम भाव से सेवा करें और हिम्मत रखें |
9 . डिलीवरी के बाद नाभि छेदन 2 से 3 मिनट के बाद करना चाहिए क्योंकि इस समय तक प्राण नाभि में होते हैं 2-3 मिनट में यह निष्क्रिय हो जाता है तब काटने से बच्चे को पीड़ा नहीं होती | और वह बच्चा पीड़ा से जन्म नहीं लेता और वह निडर होता है | जिन बच्चों का नाभि छेदन जल्दी होता है उनको पीड़ा होती है और उनमें जन्म से भय के संस्कार पड़ जाते हैं | ऐसे बच्चे हमेशा भयभीत रहता है |
10 . बच्चे के जन्म के बाद जन्म देने वाली मां को 40 दिन तक सादा पानी नहीं पीना चाहिए | अजवायन ,सौंफ़ ,सौंठ ,गर्मी में बड़ी इलायची ,सर्दी में छोटी इलायची , इन वस्तुओं को पानी में उबाल ले और इस मिश्रित जल को छानकर रख ले | इस जल को प्रतिदिन ताज़ा बनाकर 40 दिन तक जन्म देने वाली माँ को पिलाना चाहिए |
इस जल के पिने से गर्भाशय में से सारे जहरीले ,विजातीय द्रव एवं कण निकल जाते है और महिलाओंं को लम्बी आयु तक रोग नहीं होते है |
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