अमरुद -GUAVA:
फल चाहे कोई भी हो हमारे शरीर को स्वथ्य रखने में सभी फल महत्वपूर्ण है | लेकिन आयुर्वेद की नज़र में हर फल का एक अलग ही महत्त्व है | जिनके बारे में " हम " आपको अपनी पिछले लेखों के माध्यम से अवगत करा ही चुके है | आज हम "अमरूद और अमरुद के पत्तो" के आयुर्वैदिक गुणों बारे में चर्चा करेंगे | कि "अमरूद और अमरूद के पत्ते " किन-किन रोगों में लाभदायक है |
गुदा रोग मैं अमरूद का महत्व :
यह एक ऐसा रोग है जिसे बताते हुए कुछ लोग काफी संकोच करते हैं परंतु डॉक्टरों के सामने कैसा संकोच ? यदि आप डॉक्टर से ही संकोच करेंगे तो आप का इलाज ही कौन करेगा ?
इसलिए मैं हर रोगी को यही सलाह देता हूं कि वह रोग के बारे में अपने वैद्य ,हकीम ,डॉक्टर से कुछ ना छुपाएंं |
गुदा रोग बहुत बुरा रोग है, क्योंकि कई लोगों को इस रोग के कारण शौच (latrine)करते समय गुदा को बाहर निकल आने पर काफी कष्ट होता है | इस रोग का इलाज सबसे पहले आयुर्वेद ने निकाला था |
ऐसे रोगी अमरूद के पत्ते लेकर उन्हें पीसकर चटनी की भांति बना लें फिर रात को सोते समय गुदा द्वार पर उसका लेप कर के सो जाएं |
40 दिन प्रतिदिन ऐसा करने पर यह रोग जड़ से समाप्त हो जाएगा |
मस्तिष्क के लिए अमरूद का उपयोग:
जिन लोगों के दिमाग पर अक्सर बोझ रहता है | उन्हें चाहिए कि सुबह शाम दोनों समय ढाई सौ ग्राम अमरुद लेकर उनको काटकर छोटे-छोटे टुकड़े बना लें | इसके ऊपर काला नमक, काली मिर्च और नींबू का रस डालकर आनंद से खाते रहें इससे मानसिक तनाव दूर हो जाएगा |
फोड़े फुंसी एवं खुजली में अमरूद का उपयोग :
40 दिन तक प्रतिदिन दोपहर के समय ढाई सौ ग्राम अमरूद में काला नमक, काली मिर्च एवं नींबू डालकर खाने से फोड़े फुंसियां समाप्त हो जाती हैं |
पुराने दस्त ( संग्रहणी ):
अमरूद के पेड़ की कोमल पत्तियाँ पानी में उबाल कर उसे छान लेंं | छने हुए पानी को दिन में तीन से चार बार आधा -आधा गिलास पिने से पुराने से पुराने दस्त संग्रहणी रोग ठीक हो जाता है |
महत्वपूर्ण बात :
अमरूद के अन्दर " टेनिक एसिड" होता है , जो हमारे शरीर के अन्दर घाव भरने में महत्वपूर्ण माना गया है |इसलिए पेट की अंतड़ियों के घाव भरने में अमरुद अति उपयोगी है |
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