सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

How to control blood pressure through yoga




रक्तचाप ( blood pressure ) नियंत्रण करने के लिए करे प्राणायाम  :-

श्वास -प्रश्वास क्रियाओंं का नाम ही प्राणायाम है | प्राणायाम के तीन प्रमुख अंग माने गए हैं | यह तीन अंग है, पूरक, कुंभक और रेचक वास्तव में प्राणायाम की  3 क्रियाएं हैं बाहर से भीतर की ओर स्वास खींचने को पूरक कहा जाता है उस श्वास को  निर्धारित समय तक रोके रखने की क्रिया को कुंभक कहते हैं और अंदर खींचते हुए श्वास को बाहर फेंकने की क्रिया को रेचक कहा जाता है |  कुछ योग शिक्षकों का कहना है  कि "तीनों क्रियाओं में समान समय लगना चाहिए" किंतु कुछ लोगों की मान्यता है कि "सांस लेने और सांस छोड़ने की क्रिया में समान समय लगे और श्वास रोकने की क्रिया में उससे दुगना समय लगना चाहिए अर्थात पूरक और रेचक में यदि 20 सेकंड लगे हो तो कुंभक में 40 सेकंड लगने चाहिए | 


 yoga 



प्राचीन ऋषि मुनि और हमारे धर्म ग्रंथो की माने तो प्रत्येक जिव की सांसे निर्धारित है | यदि कोई जिव अपनी सांसो को अव्यवस्थित रूप से व्यय करता है  तो वह जल्दी ही अपनी जीवन शक्ति गवांं कर मृत्यु को प्राप्त कर लेता है यदि वह प्राणायाम के द्वारा अपनी सांसो को नियंत्रित करके ध्यान लगाये तो उसकी प्रत्येक सांस की अवधि लम्बी हो जाती है | और वह इससे अपनी शारीरिक एवं मानसिक चेतना बढाकर अपने जीवन की निर्धारित सांसो को भी बढा सकता है 

एक साधारण मनुष्य एक मिनट में लगभग 18 से 20 बार साँस लेता है | योग और प्राणायाम के अभ्यास से सांसो में 5 से 10  प्रति मिनट की गिरावट आती है | 

सांसो की संख्या हमारे जीवन में निर्धारित है इसलिए यदि छोटे और जल्दी-जल्दी श्वास लिए जाते है तो कम समय में ही प्राणी अपने आप को मृत्यु की ओर अग्रसर करता है | 

प्राचीन ऋषि-मुनि प्राणायाम के माध्यम से लम्बे समय तक जीवन जीते थे ,और प्राणायाम के माध्यम से ही समाधी में चले जाते थे उस समय उनकी श्वास नहीं चलती थी इसलिए उनका शरीर काल के प्रभाव से अछुता रहता था |

क्या है प्राणायाम ?


प्राणायाम क्या है ? इस संबंध में बहुत प्रकार के मत है | लेकिन हम बात कर रहे है स्वास्थ के बारे में प्राणायाम  रक्त शोधक की एक  प्रक्रिया है |

प्राणायाम जानने से पहले प्राण शब्द को जानना होगा |  संस्कृत में प्राण शब्द की उत्पत्ति अन धातु से मानी जाती है अन धातु जीवनी शक्ति चेतना शक्ति वाचक है इस प्रकार प्राण शब्द का अर्थ चेतना शक्ति होता है | 

प्राण और जीवन प्रायःः एक ही शब्द में प्रयुक्त होता है |

प्राणायाम दो शब्दों से मिलक बना है | प्राण+आयाम =प्राणायाम  अर्थात एक प्राण और दूसरा आयाम | 

प्राण का अर्थ है जीवन तत्व और आयाम का अर्थ है विस्तार | प्राण शब्द के साथ प्रायः वायु को जोड़ा जाता है |
वायु का काम है नाक के द्वारा सांस लेने पर फेफड़ों में फैलना तथा उसके आँँक्सीजन अंश को रक्त के माध्यम से समस्त शरीर में पहुचाना यह प्रक्रिया शरीर को जीवित रखती है |   

जो नित्य नियमित रूप से प्राणायाम करता है उसको किसी प्रकार का रोग नहीं होता है यदि व्यक्ति प्राणायाम का अभ्यास करता है तो उसका रोग शीघ्र ही  दूर हो जाता है | 

 meditation



प्राणायाम कैसे करे ?

प्राणायाम का अर्थ है  शुद्धीकरण शारीरिक, मानसिक तथा प्राणिक तंतुओ के समूह का शोधन करना ही इसका उद्देश्य है |

 पद्मासन, सिद्धासन या वज्रासन या किसी भी ध्यान के आसन में आराम के साथ बैठकर मेरुदंड को सीधा रखें और आंखें बंद कर शरीर को स्थिर करने के बाद  दाएं हाथ मुद्रा बनाते हुए दाएं अंगूठे से दाहिनी नासिका को अनामिका उंगली से बायींं नासिका को बंद करने की स्थिति में लाइए अन्य उंगलियां ढीली रहेंगी  अब देखिए कि कौन सी नासिका से अधिक स्वास निकल रहा है मान लीजिए बायींं नासिका से अधिक  स्वास निकल रहा है, तो दाहिनी नासिका को बंद कर दीजिए फिर बायींं नासिका बंद करके दाहिनी नासिका से स्वास छोड़िए इसी क्रमानुसार दायींं  से स्वास लीजिए और वायु बायींं  से छोड़िये है | पुनः बायीं से  स्वास लीजिये और दाहिनी से छोड़िये | नए साधक को दस बार प्राणायाम करना चाहिए | 

प्राणायाम का अभ्यास करते समय इस बात का ध्यान रखे की स्वास लेने, रोकने और छोड़ने में 1:4:2  के अनुपात में करे | अर्थात आप स्वास लेने में 10 सेकंड लगाते हैं तो 40 सेकंड स्वास रोके तथा 20 सेकंड में धीरे-धीरे स्वास छोड़ें स्वास लेने की क्रिया को योग की भाषा में पूरक (Inhaling) कहते हैं और उस स्वास को रोकने की क्रिया को कुंभक ( Retention )कहते हैं तथा स्वास छोड़ने की क्रिया को रेचक (Exhaling) कहते हैं |

शरीर की समस्त नाड़ियों को शुद्ध करने के लिए तथा फेफड़ों को शुद्ध करने के लिए तथा फेफड़ों के विकार, मानसिक तनाव ,ब्लड प्रेशर आदि कष्टों को दूर करने के लिए प्राणायाम सर्वोत्तम है |


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

engage children's mind in studies

यदि बच्चों का पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता तो करे यह उपाय : बच्चों की पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा चिंता माता-पिता को होती है | माता पिता हमेशा चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर जीवन में एक अच्छा मुकाम हासिल करें | इसलिए वह बच्चों पर थोड़ी सख्ती भी करते है | जैसे -बच्चों को  खेलने से रोकना , पढ़ाई के लिए बार-बार बोलना ,अच्छी से अच्छी जगह ट्यूशन लगाना आदि | लेकिन बच्चे फिर भी अच्छे अंक प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं |   बच्चों का मन पढ़ाई में लगे और वह अच्छे अंको से पास हो इसके लिए एकाग्रता बहुत जरूरी है  | अगर आप भी ज्योतिष ,वास्तुु, फेंगशुई को मानते हैं | तो इनमे बहुत से ऐसे उपाय हैं जिनके जरिए हम बच्चों की एकाग्रता को बढ़ा सकते हैं | प्रकृति में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ऊर्जा प्रवाहित हो रही है  वास्तु और फेंगशुई का काम है दोनों  ऊर्जाओं का संतुलन बनाए रखना और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना इसके लिए हमें वास्तु और फेंगशुई के नियमों का पालन करना होगा | 1 .  बच्चों का अध्ययन कक्ष हमेशा पश्चिम या दक्षिण दिशा में बनाना चाहिए क्योंकि इससे स्...

how to gain weight by honey

क्या आप अधिक पतले है ? तो करे यह उपाय    दोस्तों जिस तरह अधिक मोटापा स्वस्थ शरीर के लिए अभिशाप है | उसी तरह अधिक पतला होना भी एक स्वस्थ शरीर में बीमारी के लक्षण दर्शाता है | और भी ना जाने कितनी ही समस्यओं का सामना करना पड़ता है | अधिक पतले व्यक्ति को अपने जीवन में | आज हम आपको शहद के एक ऐसे गुण के बारे में बता रहे है | जिससे आप अपना वजन  बढ़ा  सकते है |     how to gain weight अधिकतर पतले व्यक्ति  वजन बढ़ाने के लिए गरिष्ठ भोजन एवं पौष्टिक आहार का अधिक सेवन करते हैं  |  परंतु पाचन क्रिया दुर्बल होने के कारण ऐसा आहार हजम नहीं होने से कब्ज, गैस, अपच, दस्त एवं दुर्बलता बढ़ती है | दुर्बल व्यक्ति जितना आहार खाता है इसमें से थोड़ा हिस्सा ही हजम कर पाता है | और शेष भाग बिना पचे ही निकल जाता है |  वास्तव में शरीर का दुर्बल भोजन के पोषक तत्वों की कमी होना नहीं बल्कि हमारे पाचन यंत्रों का शिथिल और मंद होना है | ऐसे रोगियों को गरिष्ठ भोजन की आवश्यकता नहीं |  बल्कि पाचन और पोषण यंत्रों को ठीक करने की है | अगर यह यंत्र ठीक कर दिए जाएं तो ...

how to avoid heart diseases from home remedies

ह्रदय के रोग  ह्रदय रोग एक ऐसा कष्टकारी रोग है यह जब किसी के जीवन में  प्रवेश करता है तो उसका जीवन बड़ा ही कष्टकारी हो जाता है , ह्रदय रोग से बचाव के कुछ उपाय > heart disease   सेब का मुरब्बा सुबह खाली पेट लेने से ह्रदय स्वस्थ रहता है | सुखा अदरक (सोठ ) का चूर्ण शहद में मिलाकर खाने से ह्रदय शक्तिशाली हो जाता है |  उक्त रक्तचाप वाले व्यक्तियों को तरबूज के रस में सेंधा नमक व् काली मिर्च मिलाकर लेना लाभप्रद  होता है |  रात को गाजर भुनकर छिलकर खुले में रख दे ,सुबह इसमें  शक्कर और गुलाब जल मिलाकर खाली पेट खाने से ह्रदय की धड़कन  समान्य हो जाएगी  |    5  ग्राम मेथीदाना पीस ले और इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करे  इससे दिल का दर्द जलन और घबराहट दूर होगी |