भुजंगासन - सर्पासन :
इस आसन में शरीर की आकृति सर्प के जैसी बनती है इसलिए इस आसन को भृजंगासन - सर्पासन कहते है |
भुजंगासन -सर्पासन |
भुजंगासन - सर्पासन करने की विधि :
आसन को करने से पूर्व मन को एकाग्र करे |
उसके बाद भूमि पर पेट के बल उल्टे लेट जाएं | पैरों के अंगूठे, नाभि, छाती, ललाट और हाथ की हथेलियों भूमि पर एक सीध में रखें | ललाट को जमीन से छूने दीजिए | दोनों पैरों को सिर की तरफ कान के साथ साथ सीधा व लंबा फैला लीजिए | और शरीर को ढीला कर दीजिए जिससे पेट की मांसपेशियां शिथिल हो जाएं | दोनों पैर और पंजे परस्पर मिले होने चाहिए | पैरों के अंगूठे को पीछे की ओर खींचो दोनों हथेलियों को कमर के पास ले जाकर धीरे धीरे स्वास भरते हुए सिर को और कंधों को और कमर तक जमीन से ऊपर उठाएं जिससे मेरुदंड के आखिरी भाग पर दबाव केंद्रित होगा | शरीर की स्थिति कमान की तरह बनेगी | पूरे शरीर के वजन को हाथ के पंजोंं पर डाल दें | इसमें कोहनी थोड़ी सी मुड़ी रहती है | नाभी भूमि से लगी रहनी चाहिए | सिर को जितना हो ऊपर की तरफ ले जाएं और दृष्टि को आकाश की तरफ स्थिर करें | 20 सेकंड तक ऐसी ही स्थिति में रहना है | बाद में श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे सिर को नीचे लाएंं | छाती भूमि पर लगने दें और ललाट को भी भूमि से लगने दे | कुछ देर आराम करने के बाद फिर से करें हर रोज 5 से 10 बार यह आसन करें |
ध्यान रखे की शरीर को भूमी से ऊपर उठाते समय स्वास को भीतर लेना है | 20 सेकेण्ड स्वास रोकने के बाद धीरे-धीरे स्वास छोड़े |
भुजंगासन -सर्पासन |
भुजंगासन - सर्पासन करने के लाभ :
भुजंगासन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होती है| सब रोगों का नाश होता है| मुख्य रूप से कब तक का पूर्ण आज कर देता है एवं कुंडलिनी जागृत हो जाती है| महिलाओं के लिए भुजंगासन बहुत लाभदायक है| स्त्रियों के प्रजनन संबंधी सभी विकारों को दूर कर देता है | प्रदर रोग ,कष्टदायक मासिक धर्म और अनियमित मासिक धर्म आदि समस्त कष्ट दूर कर देता है| छाती और पेट का विकास होता है| गर्भाशय एवं अंडाशय स्वस्थ बनते हैं |
भुजंगासन करने से स्लिप डिस्क , सायटीका ,मेरुदंड से संबंधित छोटे-मोटे दर्द, कमर के समस्त प्रकार के दर्द को दूर कर देता है| सरवाईकल आदि रोगों को दूर करने में सहायक होता है| इससे पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती है| मेरुदंड के तमाम मानकों को तथा गर्दन के आसपास वाले स्नायु को अधिक शुद्ध रक्त मिलता है | मेरुदंड को लचीला स्वस्थ एवं पुष्ट करता है, जिगर और गुर्दे को शक्ति देता है, ह्रदय मजबूत बनता है, मधुमेह और उधर के रोगों से मुक्ति दिलाता है , अमाशय की मांसपेशियों का विकास होता है, थकान के कारण पीठ की पीड़ा को दूर करके पूरे शरीर में स्फूर्ति प्रदान करता है |
भुजंगासन समस्त नाडी तंत्र को चेतना देता है | आपको चिरंजीवी शक्तिमान एवं सृदृड़ बनाता है| मस्तिष्क के ज्ञान तंतु बलवान बनते हैं |
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