श्वास संबंधी बीमारियों में गुणकारी है आंवला :
आंवला :
अलौकिक एवं आश्चर्यजनक फल है आंवला , आयुर्वेद में ऐसे इसे रसायन की संज्ञा दी गई है | आंवले के ताजे रस को शहद मैं मिलाकर या ताजे आंवला फलों को चबाकर सेवन करने से श्वास रोगों में आश्चर्यजनक लाभ होता है |
आंवले की चटनी प्रतिदिन प्रयोग की जा सकती है , ताजे आंवलो को काट कर या सूखे आंवलो को चार-पांच घंटे पानी में भिगोकर हरा धनिया तथा पुदीना के सहयोग से ताजी चटनी प्रतिदिन बनाई जा सकती है | यह चटनी स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभदायक है |
आंवला |
आवंला एक त्रिदोषनाशक फल है , अर्थात यह अपने खट्टेपन के गुण से वात रोगों के लिए ,मीठे एवं ठंडक वाले गुण से पित्त रोगों को और कसैलेपन एवं रूखेपन वाले गुण से कफ़ को नष्ट करता है | इस तरह आंवला तीन तरह के रोगों के लिए बहुत ही हितकर है | और इन तीन रोगों वात,कफ़,पित से ही हमारे शरीर में बीमारियाँ जन्म लेती है |
आंवला कल्प से जिन बीमारियों में लाभ होता है वह है : "असमय बुढ़ापा , संधिशोथ , डायबिटीज , मधुमेह , तपेदिक , मोतिया बिन्द , उपदंश , हृदय रोग , कैंसर , दमा , कब्ज , ब्लडप्रेशर , पित्ताश्मरी , पेशाब में कष्ट , बालों का असमय सफेद होना , लीवर की बीमारियां , नपुंसकता , त्वचा पर झुर्रियां " शायद ही कोई रोग हो जो आंवला कल्प से ठीक ना होता हो | आंवला कल्प से इंद्रियां बहुत सचेत हो जाती हैं , आंखो की रोशनी तेज हो जाती हैं , सूखे उलझे बाल चमकदार हो जाते हैं , पायरिया बिल्कुल ठीक हो जाता है , कर्कश एवं भोंडी आवाज भी मधुर हो जाती है , रंग खिल जाता है , खून बहते मसूड़े ठीक हो जाते हैं , बूढ़े जवान दिखने लगते हैं , और जवान एकदम चुस्त हो जाते हैं |
सर्दी - जुखाम मेें आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर छांटें चाटे, अगर गर्मी का मौसम हो तो आंवले का चूर्ण फांक कर पानी के साथ पी जाएं |
अगर छाती में कफ हो तो आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से कफ के गुच्छे टूट कर निकल जाएंगे | कफ को शरीर से बाहर निकालने के लिए आंवले का 50 ग्राम जूस प्रतिदिन पीने से शरीर में जमा पुराने से पुराना कफ भी बाहर निकल जाता है |
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