बारिश का मौसम और आपकी सेहत :
Rainy Season and your health |
बारिश का मौसम हर किसी को लुभाता है इस मौसम में भीगना शायद ही किसी को अच्छा न लगता हो | किंतु दिल में स्वास्थ्य को लेकर एक चिंता भी बनी रहती है कि कहीं बारिश में भीगने से हमारी सेहत अथवा हमारी त्वचा पर कोई बुरा असर ना हो |
यदि हमारा स्वास्थ्य ठीक है तभी हम किसी भी मौसम का भरपूर आनंद ले सकते हैं | अन्य मौसमों की तरह मानसून में भी शरीर अनेक विकारों का सामना कर सकता है | यदि थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो हम इस बरसाती मौसम का भरपूर आनंद ले सकते हैं |
बरसात के मौसम में इन बातों का रखें ख्याल :
बरसात में अधिक समय तक भीगने से बचे | यदि कभी ऐसा मौका आ जाए तो सिर को कम से कम भीगने दें | भीग जाने पर तुरंत सबसे पहले सिर को सुखा लें वरना वहां भारीपन एवं दर्द आदि हो सकता है |
मेहनत वाले काम जिनमे पसीना अधिक आता हो जैसे – साइकिल चलाना .मजदूरी करना .कपड़े धोना ऐसे काम करने से पसीना अधिक आता है और शरीर भी गर्म हो जाता है | अतः ऐसे काम करने के बाद बारिश में भीगने से बचें | यदि आप अधिक परिश्रम करने के बाद बारिश में भीगते है तो आपको बुखार ,बदन दर्द ,दाने-खुजली या पित्त (त्वचा रोग ) आदि रोग हो सकते है |
स्विमिंग पूल , नदी , नहर , तालाब आदि में नहाने से पहले अपने कानो में रुई अथवा इयर प्लग लगा ले | अन्यथा कान में पानी जाने से कान में दर्द , सुजन , कान बंद हो सकता है इससे कान बहने जैसी समस्या हो सकती है |
अधिकतर लोग वर्षा होने पर अपने आप को रोक नहीं पाते और बारिश होने पर नहाने लगते है | और यह स्वभाविक है | परन्तु पहली बारिश में कभी ना नहायें क्युकी वायुमंडल में फैले दूषित कण भी उस बारिश में घुल जाते है | अतः पहली बारिश में नहाने से त्वचा रोग (पित्त ,खुजली ,फोड़े-फुंसी आदि ) होने की संभावना अधिक रहती है |
बारिश में भीगने के बाद घर पर साफ़ पानी से अवश्य नहाएं | ऐसा ना करने पर त्वचा रोग हो सकते है |
अधिक देरी तक भीगने या यूं ही गीले कपड़े पहने रहना , कच्ची गीली जगह पर अधिक देर बैठना या लेटना , नमी वाली जगह पर या मकान में रहना जहा सूर्य का प्रकाश और हवा ना आती हो | एसी जगह रहने से जुकाम ,खांसी , जोड़ो में दर्द , खुजली आदि जैसे रोग होने की संभावना बढ़ जाती है |
भीगे हुए जूते-मोज़े अधिक देरी तक ना पहने रहें | और ना ही पैरों को अन्य किसी कारण से गिला रखें | ऐसा होने पर ( घुटनों का दर्द ,पेट के विकार ,दर्द ,सूजन, भूख ना लगना, मरोड़ आदि ) एवं महिलाओं में माहवारी के समय उतार-चढ़ाव की संभावनाएं बढ़ जाती हैं |
प्रकृति के अनुसार इन दिनों सूरज घने बादलों के आगोश में समाया रहता है | ऐसे में तली- भुनी वस्तुएं खाने की भी इच्छा बढ़ जाती है | जिससे पेट की बीमारियां जैसे मंदाग्नि ,पेट दर्द, दस्त, मरोड़, आंव आदि से प्रभावित होने के मौके बढ़ जाते हैं |
बरसात के मौसम में जगह-जगह पानी भरने से गंदगी का बढ़ जाती है | जिससे नालियां एवं सड़कों की गंदगी घरों में पहुंच जाती हैं | जिससे पीने का पानी दूषित व पैर लगातार भीगे रहने पर अनेकों विकार हो सकते हैं |
बरसात में कपड़ों पर बारिश के धब्बे भी पड़ जाते हैं | इनसे घबराइए नहीं इन धब्बों को निकालना बड़ा ही आसान है आप ऐसे कपड़ों को गर्म पानी की भाप दीजिए धब्बे तुरंत गायब हो जाएंगे | यदि इस तरह धब्बे ना जाए तो है तो एसिटिक एसिड की सहायता से उन्हें छुड़ा सकते हैं |
यह मौसम फंगल (फफूंदी ) पैदा करने वाला होता है | जिसका प्रभाव शरीर के जोड़ों (जहां पसीना कम सुख पाता है ) मैं अधिक होता है | जैसे बगल ,राग जांघों के बीच कोहनी आदि यहां दाद – खुजली पैदा हो सकती है |
बरसात में होने वाले रोगों से बचने के उपाय :
बारिश में भीगने से बचने के लिए छाते, रेनकोट, ट्राउजर, व कैप आदि का प्रयोग सबसे अच्छा तरीका है | विशेषकर वाहन चलाते समय भीगते हुए अपने काम को अंजाम देने व आकस्मिक घटना का सामना करने से मैं भी कम परेशानी होगी |
अचानक आई वर्षा का सामना करते समय एक छोटे पॉलीबैग द्वारा अपने सिर को जरूर ढक ले |
वर्षा में भीगी हालत में घर पहुंचने पर गीले कपड़े तुरंत उतार कर ताजे पानी से जरूर नहा लें |नहाने के बाद साफ एवं सूखे हुए कपड़े पहने |
बरसात के मौसम में सबसे अधिक सावधानी पानी के प्रयोग मे बरतने की आवश्यकता है | क्योंकि बरसात में फैलने वाली कई बीमारियां पानी के द्वारा ही फैलती हैं | अतः पीने और खाना बनाने के लिए हमेशा उबला हुआ पानी प्रयोग करें इसके उपयोग से बरसाती बीमारियों से बचना आसान होगा |
बरसात में कच्चा प्याज नियमित रूप से खाएं अगर प्याज में सिरका मिला लें तो अति उत्तम होगा इसके नियमित प्रयोग से बरसाती बीमारियां नजदीक नहीं आती |
यदि आपको जुखाम हो गया है तो पानी में नींबू का रस डालकर पीएं | ऐसे समय में हल्का भोजन लें | साथ ही यह भी ध्यान रखें कि भोजन पौष्टिक हो |
यदि आपके बच्चे को जुखाम हो गया है तो रात को सोते समय हल्दी को पानी में रगड़ कर प्राप्त अवलेह को उसके माथे और नाक पर लगाएं | साथ ही उसे गरम कपड़ा उड़ा दें | इससे तुरंत लाभ मिलेगा यदि जुकाम के साथ आपके बच्चे को खांसी भी हो गई है तो थोड़े से शहद में ब्रांडी की कुछ बूंदें डालकर उसे पिला दें |
बुखार आने पर देसी घी माथे पर मले एवं बाद में गीले (सूती मोटे हल्के रंग ) वाले कपड़े की पट्टी माथे पर रखें जिससे तापमान में गिरावट आएगी | बुखार अगर तेज़ हो तो पट्टी को ठंडे पानी में भिगाकर जल्दी-जल्दी बदले |
जुकाम में नाक बंद होने पर चम्मच में गुनगुना (हल्का गर्म) सरसों का तेल छोटी उंगली द्वारा नाक के दोनों छिद्रों में डालकर ऊपर खींचे बंद नाक खुल जाएगी | सांस लेने में भी अधिक परेशानी नहीं होगी |
कान दर्द में सूती कपड़े को गर्म कर बाहर से सिकाई करें |
दस्त, मरोड़,आंव या खून मल के साथ आए तो पीने योग्य थोड़ा- थोड़ा पानी जल्दी-जल्दी पानी पीने को दें | इसके अलावा ओआरएस, ग्लूकोज, मट्ठा, दही, जौ का पानी ,सत्तू आदि दें |
खुजलाहट होने पर उस अंग की खाल पर गोले का तेल का या देसी घी की मालिश करें | नमकीन चीजों का सेवन कम करें |
गीले , नमी, सीलन वाले कमरे या मकान जिसके पास कोई पोखर नदी नाला आदि हो और जहां धूप और हवा ना आती हो ऐसी जगह पर कतई ना रहें | यदि रहते हो तो जल्द से जल्द बदल दें |
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